Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -23-Jul-2022... परी की छड़ी..

माँ मुझे आज ये रोटी नहीं खानी... मुझे वो ब्रेड खिला ना आज....। 


बेटा... वो बहुत मंहगी आतीं हैं और जल्दी खराब भी हो जाती हैं... ओर सबसे बड़ी बात हमारी सेहत को भी खराब करतीं हैं..। तु ये रोटी खाएगी तो मस्त ताकत वाली हो जाएगी..। तुझे बड़े होकर पुलिस अफसर बनना हैं ना... तो उसके लिए तुझे अभी से ताकत वाला खाना ही खाना पड़ेगा ना...। 

मैं सब समझतीं हूँ माँ.... साफ साफ क्यूँ नहीं बोलतीं तेरे पास पैसे नहीं हैं..। तुझे पता हैं हमारे स्कूल में बहुत सारे बच्चे नाश्ते में ब्रेड ही लाते हैं... ओर सब मुझसे ज्यादा ताकत वाले हैं...। 

मैं सच कह रहीं हूँ.... ब्रेड सच में सेहत के लिए अच्छी नहीं होतीं..। 

ठीक हैं.... मानी तेरी बात... लेकिन कभी कभी तो खा ही सकते हैं ना.. रोज रोज ये बाजरे की रोटली मुझे नहीं भाती...। कुछ तो अलग खाना चाहिए ना माँ...। 

हाँ... जानती हूँ... लेकिन इस घर में ये बाजरा कितनी मुश्किल से आता हैं... वो तु भी जानती हैं छुटकी...। 


माँ... याद है तु मुझे एक कहानी सुनाती थीं... वो परी वाली... वो परी अपनी छड़ी घुमाकर जादू करतीं थीं..। सब लोगों की मदद करतीं थीं...। तुने मुझे बताया था वो गरीब लोगों की पहले मदद करतीं हैं..। क्या वो सच में मदद करतीं हैं...। 

कौशल्या के पास उस वक्त छुटकी को टालने के लिए कुछ सुझ नहीं रहा था... इसलिए उसने हाँ कर दी... 
हाँ छुटकी.... वो परी रात को सबके सोने के बाद... सबके घरों में जाती हैं और फिर किसी एक की मदद करतीं हैं...। अभी तु फटाफट ये खाना खा ले... क्या पता आज हमारी ही मदद करने आ जाए..। चल जल्दी कर...ओर फिर जल्दी से सो जा..। 


नहीं मां... आज ये तो नहीं खाऊंगी मैं... तभी तो परी हमारी मदद करेगी...। उसे दिखेगा की मैं ब्रेड के लिए भूखी सो गई हूँ तो वो हमें बहुत सारा खाना देकर जाएगी ना...। 

छुटकी... देख भुखे पेट सोना सही नहीं हैं...। तेरी बात परी तक पहुँच गई हैं... वो कभी ना कभी हमारी मदद कर देंगी... अभी तु जिद्द छोड़ ओर खाना खा ले...। 

नहीं मां... फिर कभी नहीं.. आज... आज ही परी को आना पड़ेगा... आप देखना वो जरूर आएगी .....। 

ऐसा कहकर छुटकी भागती हुई कमरे में चलीं गई ओर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया...। 

उसकी माँ.... बार बार समझाती रहीं... पर परी पर तो आज भूत सवार था..। 

कौशल्या :- अच्छा ठीक हैं मत खा खाना... पर दरवाजा तो खोल दे छुटकी...। मुझे तो भीतर आने दे...। 

एक शर्त पर माँ... तु मुझे कोई जिद्द नहीं करोगी...। बोलो मंजूर...। 

हा बाबा मंजूर....। 


छुटकी ने दरवाजा खोला ओर दोनों माँ बेटी बिना कुछ खाए ही सो गई....। 

कौशल्या की आंखों में नींद नहीं थी.... वो बस छुटकी के सोने की राह देख रहीं थीं..। छुटकी के सोते ही कौशल्या उठी ओर उसने एक कागज और पेन लिया ओर उस पर कुछ लिखकर छुटकी के सिरहाने रख दिया...। 


आधी रात बीतने पर छुटकी की भुख की वजह से आंख खुली...। वो उठी तो उसकी नजर उस कागज पर पड़ी...। उस पर लिखा था... "प्यारी छुटकी....मैं तुम्हारी परी....मुझे माफ़ करना ...मैं आज तुम्हारे लिए ढेर सारा खाना तो लेकर आ रहीं थीं...पर रास्ते में सड़क पर बहुत सारे भुखे बच्चे रो रहें थें....उनके पास खाने को कुछ भी नहीं था....उन्होंने दो दिन से कुछ नहीं खाया था....इसलिए आज तुम्हारे लिए लाया सारा खाना मैने उनको दे दिया....क्योंकि उनको ज्यादा जरुरत थीं....तुम्हारे लिए कल पक्का ब्रेड लेकर आऊंगी....।ढेर सारा प्यार.....परी...।"


वो कागज पढ़ कर छुटकी की आंख में आंसू भर आए...। उसने अपनी माँ को उठाया (जो की सोने का नाटक कर रहीं थीं....क्योंकि जब बच्चा भुखा होता हैं तो माँ की आंखों से नींद खुद ब खुद उड़ जाती हैं...।) 

माँ.... उठो... मुझे खाना दो.. भुख लगी हैं...। 

कौशल्या उठी ओर मुस्कुराती हुई छुटकी के लिए खाना लाई और दोनों ने मिलकर खाना खाया फिर कुछ देर बाद दोनों सो गई... । 


अगली सुबह कौशल्या अपने काम में लगी हुई थीं... तभी छुटकी उसके पास आई ओर उसके गले से लिपट गई...। 

क्या हुआ बेटा...! 

माँ आज आपको ब्रेड लाने की कोई जरूरत नहीं हैं...। मैं जानती हूँ... वो कागज पर सब आपने ही लिखा था... मैं आपकी लिखावट पहचानती हूँ...। लेकिन आपने जो भी लिखा...। बिल्कुल सही लिखा माँ...। ऐसे भी बच्चे हैं जिनके पास खाने को कुछ भी नहीं हैं.. मेरे पास कुछ तो हैं... मैं सब जान गई हूँ माँ की मेरी परी तो सिर्फ ओर सिर्फ आप हो....। 

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11 Comments

Seema Priyadarshini sahay

26-Jul-2022 09:12 PM

बेहतरीन

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Chetna swrnkar

26-Jul-2022 02:30 PM

Nice 👍

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नंदिता राय

25-Jul-2022 04:09 PM

बहुत ही सुन्दर

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